मौत का छलावा - भाग 1 - (सूर्यवंशी सीरीज) Raj Roshan Dash द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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मौत का छलावा - भाग 1 - (सूर्यवंशी सीरीज)

सूर्यवंशी नाम है तेरा न बहुत सुना है मैने तुझे तेरी ताकत पर बहुत अंहकार है न, देख महाबली! तू और तेरी यह ताकत दोनों मेरे आगे विवश हो गये है। लगा अपनी ताकत और सिद्ध कर जी लोगों से कहता था और लोग जो तेरे बारे में कहते है वो दोनो बातें एकदम सत्य है, " कहकर वह कंकाल ठठाकर हंसा और सामने रख्खे विशाल स्वर्ण सिंहासन पर जाकर बैठ गया। उस कंकाल के सिर पर सोने का मुकुट था, हाथों मे भी उसने सोने के खड़े पहने हुए थे। शरीर पर उसके राजाओं की तरह कपड़े मौजूद थे उसकी शानो-शौकत किसी राजा से कम नही। वह पूरा नर कंकाल था शरीर पर कही भी गोश्त नही था, फिर भी वह मनुष्यों की तरह अंहकार से सराबोर था। मै उसके सामने एक कैदी था। एक ऐसा कैदी जिसके पूरे शरीर पर लाल रेशमी धागों की बनी रस्सियों जकड़ी हुई थी। मेरा शरीर चाहकर भी रत्ती भर हिल नही पा रहा था। दोनों हाथ लोहे के विशाल खम्भों से खींच कर उसी लाल रस्सी से बांधा हुआ था । पावों को भी उन्ही विशाल खम्भों से बांध दिया गया था। मैं जिसे अपनी ताकत खूब गरूर था, आज एक कैदी की तरह विवश होकर बंधा हुआ था ।

उस नरकंकाल के शरीर पर चाहे गोश्त का एक भी रेशा मौजूद नही था पर उसके भीतर पहाङ को उठा लेने की ताकत मौजूद थी। वह जब हंसता था उसके पूरे शरीर की हड्डियां खङ-2 ध्वनि करने लगती थी। मुझे याद नही आ रहा था कि मै कैसे इसकी कैद में आ गया पर इसकी कैद मेरे लिए एक विवश कर देने वाली जगह बन गयी था। मे अपनी आज तक की जिन्दगी में कभी भी इतना विवश नही हुआ था। पर इस कंकाल के आगे मैं आज सचमुच का विवश हो गया था।

उसकी वो लाल रस्सियाँ न जाने किस चीज से बनी हुई थी, मैं उसको हल्का सा भी हिला नही सकता था। मुझे खुद पर भरोसा था कि यदि वह फौलाद की भी बनी होती तो मैं उसको निमिष भर मै तोड देता पर इन रस्सियों ऐसा क्या था की मै जुम्बिश भी नहीं खा पा रहा था, मै हैरान था की मेरी शक्ति कहा गयी, सौ घोड़ो की की रास एक साथ पकड़ कर उन्हें थाम लेने वाला में असहाय खडा था ।

" हैरानी हो रही न तुझे सूर्यवंशी, यह होनी ही थी। तूने बहुतों को हैरान किया है, तूने किसी को कभी गिना ही नही ? पहाड़ भी रास्ते में आया तो तूने उसे भी अपनी राह हटा दिया। पर आज तेरे लिए मैं खुली चुनौती रखता हूँ, है तुझमे हिम्मत तो फिर तो इन रस्सियों की जकङ निकल कर दिखा। मैं भूला नही हूँ तेरे दिये किसी भी दर्द की, आज भी तेरे दिये दर्द के घाव नासूर बनकर रिस रहे है। हंसना मत मेरी बात पर भले ही मेरे शरीर में एक कतरा भी गोश्त नही पर पेरे पास एक न दिखने वाला दिल है। उस दिल में अनेकों नासूर बने हुए हैं। मैं जानता हूँ की तुझे कुछ भी याद नही आ रहा पर भूल मत मेरे दोस्त जल्द ही तुझे हर वह कड़ी तुझे याद आयेगी जब सूने मुझे फाया था। इस बार तेरी जंग खुद तेरे किये अपराधों से है। तु अपनी जिन्दगी में इतने अपराध किये है की खुद अपराध भी उनकी गिनती नही कर पा रहा होगा। जल्द ही मैं तुझे हर वह बात याद कराऊंगा जो तूने विगत में की थी। मरते समय मेरे मन ख्वाहिश थी की यदि फिर कभी मुझे अवसर मिलेगा तो मै तुझसे बदला अवश्य लूंगा और वह अवसर मुझे एक भले आदमी ने दे दिया। वह केवल एक भला आदमी ही नही था बल्कि मेरे लिए खुदा था। तूने मुझे मार कर फेंक दिया था, मेरा शरीर खुले आसमान के नीचे पड़ा था बिल्कुल तन्हा। मैं मर तो गया था पर मेरी आत्मा उस शरीर से बिछड नही पा रही थी, मैं अपने शरीर को मृत पड़ा हुआ देख रहा था, खुले आसमान के नीचे जंगल के बीचों बीच मै अपने शरीर के मोहपाश में बंधा हुआ अपलक उसे देख रहा था, यह सही था की मै एक अपराधी था, लहू बहाना मेरा शौक था। मै लोगों का रक्त बहाता था पर तुमसे मेरी कोई दुश्मनी नही थी, मुझे भली प्रकार याद है की मैने तो कभी तुम्हे कुछ कहा भी नहीं था। कहना तो दूर की बात मैने तो कभी तुम्हे देखा नही था और तुम ऐसे आ टपके मेरे जीवन जैसे मान न मान मै तेरा मेहमान |

याद कर सूर्यवंशी, तेरी यादाश्त की तो लोग बड़ाई करते है। लोग कहते तू एक बार जिस किसी भी चीज तू देख या सुन लेता है तो तू उसे कभी नही भूलता। तेरी वह महान यादाश्त क्या तुझसे नाराज हो गयी। याद कर सूर्यवंशी तेरे उन कृत्यों को जब तूने मदमस्त हाथी की तरह मेरे घरौन्दे को उजाड़ दिया था। याद तो तुझे करना होगा अमर योध्दा, जब तक तू याद नही करेगा तब तक तुझे इस बात का अहसास ही नही होगा की तू गलत था वह सतत् चिल्ला रहा था पर मुझे बिल्कुल ही याद नहीं आ रहा था। कि मैने कभी किसी को परेशान किया हो। मैने अपने पिछले पूरे जीवन मे कभी ऐसा कोई कदम नही उठाया जिससे किसी आम व्यक्ति या साधु व्यक्ति को चोट पहुंची हो। मैने अपने जीवन में किसी अच्छे व्यक्ति को कभी भी परेशान नही किया फिर यह कंकाल मुझे ऐसे क्यों कह रहा है ?

मैने लाख याद किया पर मुझे कुछ भी ऐसा याद नही आया जो यह सिध्द कर सके की मैने कभी गलत किया था। न यह व्यक्ति मुझे अपना नाम बता रहा था और न ही वह कहानी बता रहा था जिससे यह स्पष्ट हो की मै कभी इसका अपराधी रहा हूँ। सबसे हैरत की बात यह थी की यह न तो हाङमास का व्यक्ति था और न ही यह कोई प्रेत आत्मा थी। जब मुझे होश आया तो मैंने खुद को इस व्यक्ति की कैद पाया। .....